लीजिए, लिएंडर पेस ने भी अपनी दुर्गति करा डाली। आप सोच रहे होंगे कि फिल्मी पेज पर आज मैं एक खिलाड़ी की बात क्यों कर रहा हूं, तो बता दूं कि लिएंडर पेस की पहली फिल्म 'राजधानी एक्सप्रेस' सुपरफ्लॉप होने की रेस में शामिल हो चुकी है। पेस की फिल्म राजधानी एक्सप्रेस कैसी बनी है इसका अंदाजा आप फेसबुक पर हुई एक टिप्पणी से लगा सकते हैं। एक नामी समीक्षक ने लिखा, 'राजधानी एक्सप्रेस किसी पैसेंजर से भी स्लो है और जिसने भी लिएंडर पेस को एक्टिंग की सलाह दी, वह निश्चित उनका कोई दुश्मन ही रहा होगा।' इस तरह वह सफल खिलाड़ी से असफल हीरो बन चुके हैं।
पेस ने टेनिस कोर्ट में जितनी इज्जत कमाई थी, बॉक्स ऑफिस पर गंवा दी। फिल्म में पेस बंदूक चलाते नजर आते हैं, लेकिन उन्हें यह मान लेना चाहिए कि उनके हाथ में टेनिस रैकेट ही सबसे ज्यादा अच्छा लगता है। ग्लैमर जगत के मोह ने टेनिस जगत में भारत के 'सुपरस्टार खिलाड़ी' का बेड़ा गर्क कर दिया।
लिएंडर पेस का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। सिर्फ भारत ही क्यों, अंतर्राष्ट्रीय जगत में भी लोग लिएंडर के टैलेंट का लोहा मानते हैं। 1996 में अटलांटा ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर पेस भारत के असली हीरो बन गए थे। इसके बाद तो टेनिस जगत में उन्होंने तमाम ऊंचाईयां हासिल कीं और भारतवासियों के दिल में एक सुपरस्टार का दर्जा हासिल कर लिया। पता नहीं क्या पड़ी थी उन्हें जो चले आए फिल्मों में और आते ही मुंह की खाई।
वैसे जब बात निकली है तो कुछ पुराने वाकए भी याद कर लेते हैं। पहले भी खेलजगत के कई सितारे ग्लैमर के मैदान में चमकने की नाकाम कोशिश कर चुके हैं। शुरुआत करते हैं लिटिल मास्टर यानी सुनील गावस्कर से। भारतीय क्रिकेट जगत के लिविंग लीजेंड गावस्कर ने 1988 में हिंदी फिल्म 'मालामाल' में काम किया था। इसमें उनके साथ नसीरुद्दीन शाह भी थे। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं कर सकी। इसके अलावा गावस्कर ने एक मराठी फिल्म 'सावली प्रेमाची' में भी काम किया था।
इसी तरह संदीप पाटिल भी ग्लैमर जगत के मोह से बच नहीं पाए थे। वर्तमान में बीसीसीआई के चीफ सेलेक्टर और एक जमाने धाकड़ बल्लेबाज संदीप पाटिल ने 1985 में 'कभी अजनबी थे' फिल्म में काम किया था। यह फिल्म भी संदीप पाटिल के लिए एक बुरी याद बनकर रह गई। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस फिल्म में मशहूर वेस्टइंडियन बल्लेबाज क्लाइव लॉयड ने भी अपीयरेंस दी थी।
इस कड़ी में पाकिस्तानी बल्लेबाज मोहसिन खान भी शामिल हैं। मोहसिन खान ने अपने करियर के पीक पर रहते हुए जेपी दत्ता की फिल्म 'बंटवारा' से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। बाकी लोगों के मुकाबले मोहसिन इस मामले में थोड़ी लकी साबित हुए और फिल्म ने अच्छा बिजनेस किया। वैसे इसके पीछे बड़ी वजह फिल्म की स्टारकास्ट भी थी, जिसमें विनोद खन्ना, धर्मेंन्द्र, शम्मी कपूर, डिंपल कपाड़ि़या और पूनम ढिल्लों जैसे नाम शामिल थे। इसी तरह विनोद कांबली ने भी क्रिकेट का करियर डूबने के बाद फिल्मों में हाथ आजमाया। कांबली के खाते में 'अनर्थ' और 'पल-पल दिल के साथ' जैसी फिल्में हैं। जहां 'अनर्थ' में सुनील शेट्टी और संजय दत्त थे वहीं 'पल-पल दिल के साथ' में उनके साथ एक और खिलाड़ी अजय जडेजा थे। जब अजय जडेजा का जिक्र छिड़ा है तो बता दें कि क्रिकेट में
फिक्सिंग का दाग लगने के बाद जडेजा ने फिल्मों का दामन थामा था। उनकी पहली फिल्म 'खेल' सुनील शेट्टी और सन्नी देओल के साथ थी। इसके बाद वह एक और फिल्म में आए जिसका जिक्र ऊपर हो चुका है। एक और क्रिकेटर है जिसने मजबूरी में ग्लैमर वल्र्ड को चुना और बाद में मजबूती से जम गया। बात हो रही है भारत के पूर्व तेज गेंदबाज सलिल अंकोला। 1996 क्रिकेट विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा रहे चुके अंकोला ने स्वास्थ्य कारणों से क्रिकेट का मैदान छोड़ा था और सिल्वर स्क्रीन पर आ गए। यहां उन्होंने संजय दत्त के साथ दो फिल्मों 'कुरुक्षेत्र' और 'पिता' व जायद खान की डेब्यू फिल्म 'चुरा लिया है तुमने' में काम किया। इसके बाद उन्होंने छोटे परदे पर भी सफल पारी खेली है।
एक मशहूर कहावत है कि दो कश्तियों की सवारी कभी फायदा नहीं पहुंचाती और यही बात हमारे 'खिलाड़ि़यों' पर भी पूरी तरह से लागू होती है।
(न्यूज़ टुडे में प्रकाशित)
पेस ने टेनिस कोर्ट में जितनी इज्जत कमाई थी, बॉक्स ऑफिस पर गंवा दी। फिल्म में पेस बंदूक चलाते नजर आते हैं, लेकिन उन्हें यह मान लेना चाहिए कि उनके हाथ में टेनिस रैकेट ही सबसे ज्यादा अच्छा लगता है। ग्लैमर जगत के मोह ने टेनिस जगत में भारत के 'सुपरस्टार खिलाड़ी' का बेड़ा गर्क कर दिया।
लिएंडर पेस का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। सिर्फ भारत ही क्यों, अंतर्राष्ट्रीय जगत में भी लोग लिएंडर के टैलेंट का लोहा मानते हैं। 1996 में अटलांटा ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर पेस भारत के असली हीरो बन गए थे। इसके बाद तो टेनिस जगत में उन्होंने तमाम ऊंचाईयां हासिल कीं और भारतवासियों के दिल में एक सुपरस्टार का दर्जा हासिल कर लिया। पता नहीं क्या पड़ी थी उन्हें जो चले आए फिल्मों में और आते ही मुंह की खाई।
वैसे जब बात निकली है तो कुछ पुराने वाकए भी याद कर लेते हैं। पहले भी खेलजगत के कई सितारे ग्लैमर के मैदान में चमकने की नाकाम कोशिश कर चुके हैं। शुरुआत करते हैं लिटिल मास्टर यानी सुनील गावस्कर से। भारतीय क्रिकेट जगत के लिविंग लीजेंड गावस्कर ने 1988 में हिंदी फिल्म 'मालामाल' में काम किया था। इसमें उनके साथ नसीरुद्दीन शाह भी थे। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं कर सकी। इसके अलावा गावस्कर ने एक मराठी फिल्म 'सावली प्रेमाची' में भी काम किया था।
इसी तरह संदीप पाटिल भी ग्लैमर जगत के मोह से बच नहीं पाए थे। वर्तमान में बीसीसीआई के चीफ सेलेक्टर और एक जमाने धाकड़ बल्लेबाज संदीप पाटिल ने 1985 में 'कभी अजनबी थे' फिल्म में काम किया था। यह फिल्म भी संदीप पाटिल के लिए एक बुरी याद बनकर रह गई। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस फिल्म में मशहूर वेस्टइंडियन बल्लेबाज क्लाइव लॉयड ने भी अपीयरेंस दी थी।
इस कड़ी में पाकिस्तानी बल्लेबाज मोहसिन खान भी शामिल हैं। मोहसिन खान ने अपने करियर के पीक पर रहते हुए जेपी दत्ता की फिल्म 'बंटवारा' से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। बाकी लोगों के मुकाबले मोहसिन इस मामले में थोड़ी लकी साबित हुए और फिल्म ने अच्छा बिजनेस किया। वैसे इसके पीछे बड़ी वजह फिल्म की स्टारकास्ट भी थी, जिसमें विनोद खन्ना, धर्मेंन्द्र, शम्मी कपूर, डिंपल कपाड़ि़या और पूनम ढिल्लों जैसे नाम शामिल थे। इसी तरह विनोद कांबली ने भी क्रिकेट का करियर डूबने के बाद फिल्मों में हाथ आजमाया। कांबली के खाते में 'अनर्थ' और 'पल-पल दिल के साथ' जैसी फिल्में हैं। जहां 'अनर्थ' में सुनील शेट्टी और संजय दत्त थे वहीं 'पल-पल दिल के साथ' में उनके साथ एक और खिलाड़ी अजय जडेजा थे। जब अजय जडेजा का जिक्र छिड़ा है तो बता दें कि क्रिकेट में
फिक्सिंग का दाग लगने के बाद जडेजा ने फिल्मों का दामन थामा था। उनकी पहली फिल्म 'खेल' सुनील शेट्टी और सन्नी देओल के साथ थी। इसके बाद वह एक और फिल्म में आए जिसका जिक्र ऊपर हो चुका है। एक और क्रिकेटर है जिसने मजबूरी में ग्लैमर वल्र्ड को चुना और बाद में मजबूती से जम गया। बात हो रही है भारत के पूर्व तेज गेंदबाज सलिल अंकोला। 1996 क्रिकेट विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा रहे चुके अंकोला ने स्वास्थ्य कारणों से क्रिकेट का मैदान छोड़ा था और सिल्वर स्क्रीन पर आ गए। यहां उन्होंने संजय दत्त के साथ दो फिल्मों 'कुरुक्षेत्र' और 'पिता' व जायद खान की डेब्यू फिल्म 'चुरा लिया है तुमने' में काम किया। इसके बाद उन्होंने छोटे परदे पर भी सफल पारी खेली है।
एक मशहूर कहावत है कि दो कश्तियों की सवारी कभी फायदा नहीं पहुंचाती और यही बात हमारे 'खिलाड़ि़यों' पर भी पूरी तरह से लागू होती है।
(न्यूज़ टुडे में प्रकाशित)
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