कल तक मैं सौमिक चटर्जी को नहीं जानता था, लेकिन आज मैं उस बंदे का फैन हूं। आइए पहले आपका परिचय करा दें। सौमिक चटर्जी एयर फोर्स में सार्जेंट हैं और फिलहाल सेना की रणजी टीम के कप्तान। कल उत्तर प्रदेश के खिलाफ क्वॉर्टर फाइनल मैच में सौमिक ने जो जज्बा दिखाया, हर कोई उसे सलाम कर रहा था। 113 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए सेना की टीम ने जब 54 रनों पर 5 विकेट गंवा दिया तो लगा कि अब तो यूपी जीत ही लेगी। अंकित राजपूत आग उगल रहे थे और एक के बाद एक पांच विकेट लेकर उनका हौसला बुलंद था। लेकिन तभी मैदान पर जो खिलाड़ी उतरा उसे देख हर कोई हैरान था। यह थे सेना के कप्तान सौमिक चटर्जी।
एक दिन पहले भी सौमिक ने अपने जज्बे से हैरान किया था और कल तो उस जज्बे को मुकम्मल मुकाम तक पहुंचा दिया। सिर्फ एक पैर पर किसी तरह लंगड़ाते हुए पिच पर पहुंचे और जम गए। जो यूपी मैच जीतती नजर आ रही थी, सेना के इस जुझारू जवान से हारने लगी। नए नियमों के तहत सौमिक को रनर भी नहीं मिल सकता था, लेकिन उन्होंने कोई परवाह नहीं की। अपने तेवरों से उन्होंने उत्तर प्रदेश के गेंदबाजों का बखूबी सामना किया। बिना खिलाडिय़ों की प्रतिष्ठा और नाम से प्रभावित हुए सौमिक ने बिल्कुल एक नायक की तरह आगे रहकर अपनी टीम का नेतृत्व किया। न सिर्फ विकेट गिरने से रोका, बल्कि मौके देखकर गेंदों को बाउंड्री के बाहर भी पहुंचाया। अली मुर्तजा की गेंद पर जीत का छक्का लगाने के बाद उनकी भावनाएं समझी जा सकती थीं।
उत्तर प्रदेश के कोच वेंकटेश प्रसाद भी इस जवान के मुरीद हुए बिना नहीं रह सके। जब मैंने उनसे सवाल किया कि क्या आप सेना के जज्बे से हार गए तो उनका कहना था कि हां, आप कह सकते हैं! मैच के बाद जब सौमिक ने कहा कि मैं सोच कर गया था कि मैच जिताकर ही वापस आऊंगा तो एक सिपाही का दृढ़निश्चय साफ नजर आ रहा था। बाद में उनके कोच से जब हमारी बात हो रही थी तब भी उन्होंने इस बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मानसिक ताकत आपको इस काबिल बना देती है कि आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं। खैर, सेना ने रणजी सेमीफाइनल में जगह बनाकर इतिहास तो रच ही दिया है। अब आगे संभवत: उनका मुकाबला मुंबई से होगा। उम्मीद है जवानों के जज्बे का एक और मुकाबला देखने को मिलेगा।
(न्यूज़ टुडे में प्रकाशित)
एक दिन पहले भी सौमिक ने अपने जज्बे से हैरान किया था और कल तो उस जज्बे को मुकम्मल मुकाम तक पहुंचा दिया। सिर्फ एक पैर पर किसी तरह लंगड़ाते हुए पिच पर पहुंचे और जम गए। जो यूपी मैच जीतती नजर आ रही थी, सेना के इस जुझारू जवान से हारने लगी। नए नियमों के तहत सौमिक को रनर भी नहीं मिल सकता था, लेकिन उन्होंने कोई परवाह नहीं की। अपने तेवरों से उन्होंने उत्तर प्रदेश के गेंदबाजों का बखूबी सामना किया। बिना खिलाडिय़ों की प्रतिष्ठा और नाम से प्रभावित हुए सौमिक ने बिल्कुल एक नायक की तरह आगे रहकर अपनी टीम का नेतृत्व किया। न सिर्फ विकेट गिरने से रोका, बल्कि मौके देखकर गेंदों को बाउंड्री के बाहर भी पहुंचाया। अली मुर्तजा की गेंद पर जीत का छक्का लगाने के बाद उनकी भावनाएं समझी जा सकती थीं।
उत्तर प्रदेश के कोच वेंकटेश प्रसाद भी इस जवान के मुरीद हुए बिना नहीं रह सके। जब मैंने उनसे सवाल किया कि क्या आप सेना के जज्बे से हार गए तो उनका कहना था कि हां, आप कह सकते हैं! मैच के बाद जब सौमिक ने कहा कि मैं सोच कर गया था कि मैच जिताकर ही वापस आऊंगा तो एक सिपाही का दृढ़निश्चय साफ नजर आ रहा था। बाद में उनके कोच से जब हमारी बात हो रही थी तब भी उन्होंने इस बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मानसिक ताकत आपको इस काबिल बना देती है कि आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं। खैर, सेना ने रणजी सेमीफाइनल में जगह बनाकर इतिहास तो रच ही दिया है। अब आगे संभवत: उनका मुकाबला मुंबई से होगा। उम्मीद है जवानों के जज्बे का एक और मुकाबला देखने को मिलेगा।
(न्यूज़ टुडे में प्रकाशित)
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