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Thursday, June 17, 2021

देश बदलकर पूरा किया सपना...


जिंदगी में सफलता पाने के लिए लोग क्या—क्या नहीं करते...लेकिन कभी सुना है कि कोई अपना सबकुछ बेचकर सफल होने की चाह में दूसरे देश में सेटल हो गया...जीहां, ऐसा करने वाला शख्स है डेवन कॉन्वे. न्यूजीलैंड की टीम का बाएं हाथ का नया ओपनर, जिसने डेब्यू मैच में डबल सेंचुरी जड़कर पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है.  तो आइए आज आपको सुनाते हैं डेवन कॉन्वे की कहानी...

डेवन कॉन्वे पैदा हुए साउथ अफ्रीका के जोहांसबर्ग, ट्रांसवाल में. सिर्फ 18 साल की एज साल कॉन्वे ने लिस्ट ए और फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में डेब्यू भी कर लिया. देश के लिए क्रिकेट खेलने की  उनकी चाह को राह मिलने लगी. लेकिन मामला कुछ जम नहीं रहा था. बल्ले से रन नहीं निकल रहे थे और नेशनल टीम के लिए कॉन्वे का इंतजार भी बढ़ता जा रहा था. उनके बल्ले से रनों का सूखा खत्म हुआ साल 2017 में, जब कॉन्वे ने अपनी पहली डबल सेंचुरी लगाई. लेकिन अभी भी नेशनल टीम की मंजिल काफी दूर थी. राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए जिस तरह के प्रदर्शन की दरकार थी, उससे कॉन्वे अभी कोसों दूर थे. 

यहां से कॉन्वे आप्शंस की तलाश में जुट गए. देश बदलकर अपना सपना पूरा करने का ख्याल उनके जेहन में चलने लगा था. विकल्प था कि वह तमाम उन तमाम ​दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों की जमात में शामिल हो जाएं और इंग्लैंड की तरफ से खेलें. लेकिन न्यूजीलैंड में मौजूद अपने कुछ दोस्तों के बुलाने पर कॉन्वे वहां चले गए. दक्षिण अफ्रीका में उनके पास जो कुछ था वह सब बेचकर. 

साल 2017 से शुरू हुआ कॉन्वे का नया सफर. कीवी कंट्री में क्रिकेट खेलते हुए कॉन्वे के टैलेंट की पहचान हुई और उन्हें मौके मिलने शुरू हो गए. पहले लिस्ट ए, फिर नेशनल टी—20 टीम से कॉल. लगातार मिलते मौकों को कॉन्वे ने जमकर कैश किया और बल्ले से रनों का वो तूफान खड़ा कर दिया कि न्यूजीलैंड के लिए उन्हें अवॉयड करना मुश्किल हो गया. टी 20 और वनडे के बाद अब कॉन्वे ने टेस्ट में भी धमाकेदार आगाज कर दिया है. 

तो यह थी न्यूजीलैंड क्रिकेट की नई सनसनी डेवन कॉन्वे की कहानी, जो हमें सिखाती है कि अगर इरादें बुलंद हों तो कोई भी मंजिल दूर नहीं. डिवोशन और ​डेडिकेशन का परफेक्ट कांबिनेशन हो तो डेस्टिनेशन मिल ही जाती है, फिर चाहे उसके लिए देश ही क्यों न छोड़ना पड़े.

(फोटो साभार: गूगल)

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Deepakdilse • A podcast on Anchor

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