मालिक तुम्हारे इस दीये में तेल अभी बाकी है, अंधकार को फाड़ने को मैं अभी और जलूँगा।
दीपक की बातें
Wednesday, July 3, 2013
मेरे लिए तुम सपने ही हो
लाखों बार—बार तसल्ली मांगी बार—बार अधिकार जताया खुद की कितनी कसमें खायीं और खुदा को याद दिलाया पर इतना सा ना मैं समझा आखिर तुम तो अपने ही हो हां, मैं सपना देख रहा हूं मेरे लिए तुम सपने ही हो
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