क्या आप परवेज रसूल को जानते हैं? शायद नहीं। चलिए आपको बता देते हैं। परवेज रसूल जम्मू कश्मीर की रणजी टीम से खेलते हैं और इन दिनों बोर्ड प्रेसीडेंट इलेवन टीम में शामिल हैं। वह भारत दौरे पर आई ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ खेल रहे हैं। कल उन्होंने अपनी स्पिन गेंदबाजी से कंगारुओं का कड़ा इम्तिहान लेते हुए सात विकेट झटक डाले। एक तरफ जब अफजल गुरू की फांसी के बाद जम्मू कश्मीर जल रहा है, परवेज रसूल वादियों से किसी खुशनुमा बयार की तरह आए हैं।
क्रिकेट के आसमान में भी परवेज रसूल की बहुत चर्चा नहीं है। वजह वह उस प्रदेश की टीम के सदस्य हैं, जो गोलियों, पत्थरों और प्रदर्शनों के लिए सुर्खियों में रहता है, बजाए किसी क्रिकेटर के प्रदर्शन के। वैसे परवेज के लिए भी जिंदगी बहुत आसान नहीं रही है। एक ऐसा भी दौर आया था जब लगा, चीजें हाथ से छूट जाएंगी। गेंद और बल्ले को लेकर देखे ख्वाब बिखरते से लग रहे थे।
यह बात अक्टूबर 2009 की है। जम्मू-कश्मीर की टीम कर्नल सीके नायडू टूर्नामेंट खेलने के लिए कर्नाटक में थी। यहीं जांच के दौरान पुलिस को शक हुआ कि रसूल के किट बैग में विस्फोटक है। इसके बाद रसूल को थाने में बिठा लिया गया। हालांकि बाद में वह पाक-साफ निकले, लेकिन इस घटना ने उन्हें हिलाकर रख दिया था। कई रातें उन्होंने बेचैनी में गुजार दीं। नींद गायब थी। क्रिकेट छोड़ देने तक का ख्याल मन में आने लगा था। फिर अचानक चीजें बदलीं। रसूल ने बल्ला हाथ में पकड़ा और गेंद के साथ दूसरी तमाम चीजों को हिट करना शुरू कर दिया।
उस बात को लंबा अरसा बीत चुका है। दाहिने हाथ से बल्लेबाजी और गेंदबाजी करने वाला यह हरफनमौला क्रिकेटर अब बस अपने खेल पर ध्यान देता है। 17 प्रथम श्रेणी मैचों में उनके नाम 3 शतक और 2 अर्धशतकों के साथ 46 विकेट भी हैं। यह रसूल की साधना का फल है कि कल उसने कंगारुओं को तिगनी का नाच नचा डाला। एक ऐसे वक्त में जब भारतीय टीम एक अदद क्वॉलिटी ऑफ स्पिनर को तरस रही है। आर आश्विन फॉर्म में नहीं हैं, मजबूरन हमें वापस हरभजन सिंह की तरफ देखना पड़ा है। कंगारू चुनौती दे रहे हैं कि भारतीय स्पिनरों को देख लेंगे, कौन जाने बारूदों की गंूज के बीच क्रिकेट का ककहरा सीखा यह शख्स भारतीय गेंदबाजी की नई तोप साबित हो जाए!
क्रिकेट के आसमान में भी परवेज रसूल की बहुत चर्चा नहीं है। वजह वह उस प्रदेश की टीम के सदस्य हैं, जो गोलियों, पत्थरों और प्रदर्शनों के लिए सुर्खियों में रहता है, बजाए किसी क्रिकेटर के प्रदर्शन के। वैसे परवेज के लिए भी जिंदगी बहुत आसान नहीं रही है। एक ऐसा भी दौर आया था जब लगा, चीजें हाथ से छूट जाएंगी। गेंद और बल्ले को लेकर देखे ख्वाब बिखरते से लग रहे थे।
यह बात अक्टूबर 2009 की है। जम्मू-कश्मीर की टीम कर्नल सीके नायडू टूर्नामेंट खेलने के लिए कर्नाटक में थी। यहीं जांच के दौरान पुलिस को शक हुआ कि रसूल के किट बैग में विस्फोटक है। इसके बाद रसूल को थाने में बिठा लिया गया। हालांकि बाद में वह पाक-साफ निकले, लेकिन इस घटना ने उन्हें हिलाकर रख दिया था। कई रातें उन्होंने बेचैनी में गुजार दीं। नींद गायब थी। क्रिकेट छोड़ देने तक का ख्याल मन में आने लगा था। फिर अचानक चीजें बदलीं। रसूल ने बल्ला हाथ में पकड़ा और गेंद के साथ दूसरी तमाम चीजों को हिट करना शुरू कर दिया।
उस बात को लंबा अरसा बीत चुका है। दाहिने हाथ से बल्लेबाजी और गेंदबाजी करने वाला यह हरफनमौला क्रिकेटर अब बस अपने खेल पर ध्यान देता है। 17 प्रथम श्रेणी मैचों में उनके नाम 3 शतक और 2 अर्धशतकों के साथ 46 विकेट भी हैं। यह रसूल की साधना का फल है कि कल उसने कंगारुओं को तिगनी का नाच नचा डाला। एक ऐसे वक्त में जब भारतीय टीम एक अदद क्वॉलिटी ऑफ स्पिनर को तरस रही है। आर आश्विन फॉर्म में नहीं हैं, मजबूरन हमें वापस हरभजन सिंह की तरफ देखना पड़ा है। कंगारू चुनौती दे रहे हैं कि भारतीय स्पिनरों को देख लेंगे, कौन जाने बारूदों की गंूज के बीच क्रिकेट का ककहरा सीखा यह शख्स भारतीय गेंदबाजी की नई तोप साबित हो जाए!
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