कल रात मेरे हाथों एक मच्छर का कत्ल हो गया
हुआ यूं कि अखबार में था मेरा ध्यान
मच्छर आकर कान में देने लगा ज्ञान
मैंने अखबार लहराया,मच्छर उसकी चपेट में आया
और अखबार पर रक्त की बूंदें मेरे गुनाह का सुबूत थीं।
मुझे अफसोस हुआ! अचानक मुझे वो मच्छर याद आने लगा
जिसने काटा था आतंकी कसाब को
सोचा, कौन जाने ये वही मच्छर रहा हो
कसाब को काटने के बाद बहादुरी में इतरा रहा हो
जो देश की सरकार ना कर सकी
उसे अपनी वीरगाथा बता रहा हो।
फिर तो मच्छर के प्रति सहानुभूति उमड़ आई
मैंने अखबार पर नजर दौड़ाई
वहां खून की बूंदे देख तसल्ली हुई
वाह, देखो क्या मौत मरा है जवान
जाते—जाते अखबार पर छोड़ गया निशान।
हुआ यूं कि अखबार में था मेरा ध्यान
मच्छर आकर कान में देने लगा ज्ञान
मैंने अखबार लहराया,मच्छर उसकी चपेट में आया
और अखबार पर रक्त की बूंदें मेरे गुनाह का सुबूत थीं।
मुझे अफसोस हुआ! अचानक मुझे वो मच्छर याद आने लगा
जिसने काटा था आतंकी कसाब को
सोचा, कौन जाने ये वही मच्छर रहा हो
कसाब को काटने के बाद बहादुरी में इतरा रहा हो
जो देश की सरकार ना कर सकी
उसे अपनी वीरगाथा बता रहा हो।
फिर तो मच्छर के प्रति सहानुभूति उमड़ आई
मैंने अखबार पर नजर दौड़ाई
वहां खून की बूंदे देख तसल्ली हुई
वाह, देखो क्या मौत मरा है जवान
जाते—जाते अखबार पर छोड़ गया निशान।
मच्छर नहिं कमजोर जो, मार सके अखबार ।
ReplyDeleteमार सकोगे तभी जब, हो दोतरफा वार ।
हो दोतरफा वार , प्यार है अघ-कसाब से ।
कर डेंगू का वार, मारता बेहिसाब ये ।
आई-क्यु की कर बात, गडकरी जैसे लगते ।
बढ़िया मौका पाय, दनादन मुंह से हगते ।
Thank u!
ReplyDelete