दीपक की बातें

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Monday, July 9, 2012

ज़िन्दगी में मौत

Courtesy: Google
कल ही किसी ने गोली मार दी
आधी रात को
लहू से लथपथ अपने जिस्म को लिए
मैं तड़पता रहा बहुत देर तक
तमाम हसीन परछाईयाँ गुजरी मेरी तरफ से
मगर हाथ में थीं उनके नंगी तलवारें
मदद नहीं मांगी मैंने
डर था,
जान बची है देखकर, वो मेरा गला रेत देंगी
मौत हर पल करीब आती जा रही थी
तभी अलार्म बजा और नींद खुल गयी
सुबह से सोच रहा हूँ
अभी ज़िन्दगी में कितनी मौत बाकी है

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