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कल ही किसी ने गोली मार दी
आधी रात को
लहू से लथपथ अपने जिस्म को लिए
मैं तड़पता रहा बहुत देर तक
तमाम हसीन परछाईयाँ गुजरी मेरी तरफ से
मगर हाथ में थीं उनके नंगी तलवारें
मदद नहीं मांगी मैंने
डर था,
जान बची है देखकर, वो मेरा गला रेत देंगी
मौत हर पल करीब आती जा रही थी
तभी अलार्म बजा और नींद खुल गयी
सुबह से सोच रहा हूँ
अभी ज़िन्दगी में कितनी मौत बाकी है
आधी रात को
लहू से लथपथ अपने जिस्म को लिए
मैं तड़पता रहा बहुत देर तक
तमाम हसीन परछाईयाँ गुजरी मेरी तरफ से
मगर हाथ में थीं उनके नंगी तलवारें
मदद नहीं मांगी मैंने
डर था,
जान बची है देखकर, वो मेरा गला रेत देंगी
मौत हर पल करीब आती जा रही थी
तभी अलार्म बजा और नींद खुल गयी
सुबह से सोच रहा हूँ
अभी ज़िन्दगी में कितनी मौत बाकी है
वाह वाह बहुत खूब ...
ReplyDeleteआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है कहानी सिक्कों की - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
अगर आप स्वप्न की बात न करते तो कविता बहुत ही बढ़िया थी .....
ReplyDeleteह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
ReplyDeleteआप सभी को शुक्रिया
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