महंगाई बनी सौतन
झुलनी, नथुनी, कंगना सपना
सपना सैर सपाटा,
महंगाई को देखकर खुशियों ने कर ली जीवन
से टाटा।
सजनी हैं हैरान सजनवा इतना पैसा पाते
फिर काहे को घर में चीजें थोड़ी-थोड़ी
लाते
क्या कोई सौतनिया आ गई मेरे जीवन में?
सोचके उनके दिल में लग गया भारी कांटा।
सजना हैं हैरान, जुटाते तिनका-तिनका सामान
सह रहे झिड़की और अपमान
कितनी भी कंजूसी कर लें खर्च ना पूरा
पड़ता
घरवाली के नखरे जैसी बढ़ती ये महंगाई
इसी बीच पत्नी ने आकर आशंका जतलाई
क्योंजी पैसा कहां खरचते, घर में चीज एक ना आई
सुनकर ये बातें सजना ने पीट लिया है माथा
तुम्हें नहीं मालूम है कितनी बढ़ गई
महंगाई?
रोज-रोज तो दाम
हैं बढ़ते, पर ना कमाई बढ़ती
100 रुपए में भी
अब तो सब्जी कम ही चढ़ती
तुम्हीं बताओ
इतने पैसे में मैं कितना ला पाता
कहते-कहते भैया जी को आने लगी रुलाई
सुनकर सबसे पहले
तो पत्नी थोड़ा सा मुस्काई
पतिदेव के समझ
में लेकिन बात नहीं ये आई
मैं नाहक शक कर
बैठी तुमपर, सोचा कोई सौतन है
पर इस युग में
तो मेरी सौत बनी महंगाई
कार्टून- साभार
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