दीपक की बातें

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Monday, January 11, 2010

चैनल को मौत की चाह रखने वाले की तलाश

ब्रिटेन के पॉप्युलर चैनल-4 और फैल्क्रम टीवी ने मैगजीनों में दिया है ऐड
इसे पढ़कर आप चौंक मत जाइएगा। यह पूरी तरह से सच है। वैसे सच बताऊँ यह तो अभी ट्रेलर है। देखते जाइये इसे नमूने अभी और आयेंगे। फिलहाल तो यह खबर पढ़िए और कल्पना कीजिये इसके भारतीय रूपांतरण की
'जरूरत है एक इसे व्यक्ति की, जो जानता हो कि उसे टर्मिनल इलनेस (लाइला बीमारी, जिससे मौत सुनिश्चित हो) है। उस पर हम ममी बनाने की मिस्त्र की प्राचीन तकनीक का इस्तेमाल करना चाहते हैं।' कुछ इसी तरह का ऐड ब्रिटेन के पॉप्युलर चैनल-4 और फैल्क्रम टीवी ने मैगजीनों में दिया है। दरअसल, चैनल-4 ममी बनाने की प्रक्रिया की लाइव डॉक्युमेंटरी बनाना चाहता है। 'डेली मेल' अखबार के मुताबिक, चैनल एक ब्रिटिश वैज्ञानिक के साथ मिलकर इस काम को अंजाम देना चाहता है। इस वैज्ञानिक का दावा है कि उन्होंने ममी बनाने की मिस्त्रवासियों की 3000साल पुरानी तकनीक का राज ढूंढ लिया है। इसका बड़ी संख्या में सूअरों पर सफल परीक्षण भी किया जा चुका है।

जानवरों पर टेस्टेड है यह प्रोसेस
विज्ञापन को पढ़कर 'इंडिपेंडंट' अखबार के एक रिपोर्टर ने फैल्कम टीवी के रिचर्ड बेलफील्ड से संपर्क साधा। रिपोर्टर ने खुद अपना शरीर ममी बनाने के लिए देने का ऑफर किया। तब बेलफील्ड ने बताया कि हम अगले कुछ महीनों तक आपकी फिल्म बनाना चाहेंगे ताकि समझ सकें कि आप कौन हैं और किस तरह के व्यक्ति हैं। हमने सूअरों पर ममी बनाने की इस प्रक्रिया का परीक्षण किया है। इस प्रॉजेक्ट के लिए तमाम वैज्ञानिक भी हमारे पास हैं। जहां यह प्रक्रिया की जाएगी, उस जगह के लिए ह्यूमन टिशू अथॉरिटी से अप्रूवल भी लिया जा चुका है।

म्यूजियम में रखी जाएगी ममी
बेलफील्ड ने बताया कि ममी बनाने के बाद बॉडी को म्यूजियम में रखा जा सकता है ताकि लोग ममी बनाने की प्रक्रिया को समझ सकें। हम ममी को दो-तीन साल तक रखकर देखेंगे कि यह प्रक्रिया इंसानों पर कितनी सफल हुई। इसके बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। हालांकि इस पूरे काम के लिए कोई रकम नहीं दी जाएगी लेकिन जो खर्च आएगा, उसे हम वहन करेंगे। बेलफील्ड ने दावा किया कि मिस्त्र वासी बहुत ही चालाक ऑर्गनिक केमिस्ट थे। ममी बनाने में वह जिन पदार्थों का इस्तेमाल करते थे, उनमें से एक को हमने खोज लिया है।

ममी में माहिर थे मिस्त्र के लोग
तीन हजार साल पहले मिस्त्र के लोगों को मृत व्यक्तियों के शरीर को संलेपन करके सैकड़ों वर्षों तक सुरक्षित रखने की कला में महारत हासिल थी। उनका मानना था कि मृत्यु के बाद बेहतर जिंदगी के लिए शरीर को इस तरह सुरक्षित करना जरूरी है। कई अन्य प्राचीन सभ्यताओं को भी ममी बनाने की कला आती थी लेकिन मिस्त्रवासियों द्वारा तैयार की गईं ममी ज्यादा समय तक सुरक्षित रहती थीं। माना जाता है कि मिस्त्र के लोग ममी बनाने के लिए जिस घोल का इस्तेमाल करते थे, वह सिर्फ बर्मा में मिलने वाले एक पदार्थ से तैयार किया जाता था। इस पदार्थ को मिस्त्रवासी 4000 मील दूर बर्मा से लाया करते थे।

पोस्टमॉर्टम दिखा चुका चैनल
चैनल-4 आठ साल पहले भी टीवी पर लाइव पोस्टमॉर्टम करवाकर सुर्खियों में आ चुका है। तब जर्मनी के डॉक्टर गंथेर वॉन हेजंस ने 72 साल के एक व्यक्ति का 500 लोगों के सामने एक थिएटर में पोस्टमॉर्टम किया था। इस पोस्टमॉर्टम से पहले डॉ. हेजंस को हेल्थ डिपार्टमेंट ने चेतावनी भी दी थी लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज करके थिएटर में इस काम को अंजाम दे दिया था। पोस्टमॉर्टम की इस प्रक्रिया का चैनल-4 ने प्रसारण किया था। तब इस पर काफी बवाल हुआ था।

3 comments:

  1. where r we going?

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें

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