दीपक की बातें

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Friday, January 15, 2010

नाटक जारी है कसाब का


इसे इस देश के कानून व्यवस्था की विडम्बना नहीं तो और क्या कहेंगे। एक आतंकी जिसके ऊपर सैकड़ों बेगुनाहों का खून बहाने का इलज़ाम है पिछले साल भर से हमारा सरकारी मेहमान बना बैठा है। अनुमान के मुताबिक उसके ऊपर अभी तक लाखों रुपये खर्च किये जा चुके हैं । इसके बावजूद इस केस में हम कितना आगे जा पाए हैं। सारे सुबूत उसके खिलाफ हैं। सैकड़ों लोगों की गवाही हो चुकी है। पर ज़रा इस आतंकी की गुस्ताखी तो देखिये, वह बार बार अपने बयान बदल कर केस को उलझा रहा है। उसकी इसी हरकतों से आजिज आकर सरकारी वकील उज्जवल निकम ने उसे नौटंकीबाज तक कह डाला। शुरू में उसने कहा कि उसका पाकिस्तान से कोई रिश्ता नहीं है। एक समय के बाद यह भी साबित हो गया कि वह पूरा पाकिस्तानी है। उसके घर, माता पिता और उसकी आतंकी ट्रेनिंग लेने की बातें तक खुल कर सामने आ गयीं।
इसके बाद कसाब ने कई नाटक खेले। कभी वह कहता कि उसे खाना ठीक नहीं मिल रहा। कभी कहता उसे अंग्रेजी-मराठी समझ में नहीं आती। फिर उसने पाकिस्तानी वकील की व्यवस्था किये जाने की बात कही। वक्त बीतता रहा, कसाब की नौटंकी जारी रही। कभी बरामदे में टहलने की आज़ादी मांगता तो कभी akhbaar aur maigzeen. यहाँ तक कि उसने कबाब भी माँगा। कोर्ट में सुनवाई के dauran उसने अपने सामान पहचानने से भी इंकार कर दिया। उसने कहा की वह तो मुंबई घुमने आया था।
इन दिनों कसाब ने फिर यू टर्न लिया है। उसने कहना शुरू किया है कि मुंबई अटैक्स से उसका कोई वास्ता नहीं है। वह कह रहा है कि जिस वक्त अटैक हुआ तब वह पुलिस की गिरफ्त में था। अब १५ जनवरी को उसने फिर एक बार कहा की वह मुंबई अटैक्स के बारे में कुछ नहीं जानता। कसाब की इन बातो से गुस्साए वो पुलिस वाले उस घडी को कोस रहे हैं जब उन्होंने कसाब को जिन्दा रखने का फैसला किया था।

वास्तव में कसाब सिर्फ एक आतंकी नहीं बल्कि हमारी कानून व्यवस्था पर एक तमाचा है। उसने अपनी करनी को अंजाम दिया। लोगों की जाने लीं, दहशत फैलाई और अब जेल में बैठा मेहमानवाजी का लुत्फ़ उठा रहा है। शर्म आती है।

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