दीपक की बातें

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Tuesday, August 11, 2009

जिंदगी के सफर में तमाम मुकाम हासिल करने की चाहत होती है। कई बार मंजिल मिल जाती है कई बार भटकाव ही साथी बन जाता हैइस सफर में तमाम बातें याद आती हैं, कुछ साथी याद आतेहैं, कुछ यादें याद आती हैंफ़िर दिल यही कहता है-

तेरी मुस्कराहट तेरा वो प्यार, आज भी है तेरा इंतज़ार

तुम्हे भुला दूंगा ये सोचा भी लिया कैसे तुमने

दिल तुमसे मिलने को आज भी है बेकरार


वाकई जिंदगी का ये साथ है ही कुछ ऐसा, हर रोज एक नई शुरुआत, हर रोज़ नई चीज़ें , कुछ चेहरे नए, कुछ मुलाकातें नई, बातें नईदिल से कुछ यादें मिटती नहींकुछ लम्हे भुलाये नही भूलते। एक अमिट छाप की तरह। फ़िर भी कुछ लोग जिद करते हैं की हम उन्हें भूल बैठे हैंकैसे यकीन दिलाएं की उन्हें भूल जाना कुछ यूँ होगा जैसे ज़िन्दगी को भूल जाना।

फ़िर दिल ये कहता है-

मोहब्बत तुमसे थी, तेरी अदाओं से थी, निगाहें रूबरू तेरी निगाहों से थी

सुलगते जज्बात मचलते अरमां, मदहोशी सी दिल की गहराइयों में थी

जूनून-ऐ-इश्क से मजबूर थे, हालात से लाचार।

तेरे दामन में सिमट जाने की चाह अब भी है, तब भी थी

बेवफा समझा तुमने, हम तुम्हे समझा ना सके,

एक आग भरी इस दिल में तब भी थी, अब भी है।

मिटा दे फासले, दूरियां घटा दे, करीब जा,

तेरी तलाश में रूह मुन्तजिर, अब भी है तब भी थी

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