3.5 स्टार
आज के दौर में बहुत से लोग होंगे जिन्होंने चेतन भगत का लिखा '2 स्टेट्स' नॉवेल न पढ़ा हो। दिलचस्प ढंग से यही बात फिल्म के पक्ष में भी जाती है और इसके खिलाफ भी। अगर आपने नॉवेल पढ़ा है तो आप इसके किरदारों को परदे पर देखने के लिए रोमांचित हो सकते हैं, लेकिन इस बात का भी डर है कि फिल्म में आपको कोई नयापन न नजर आए और आप इसे एंज्वॉय न कर सकें। बहरहाल, इन सारी बातों के बावजूद २ स्टेट्स एक अच्छी फिल्म है, जो मनोरंजन करती है।
फिल्म की कहानी है पंजाबी कृष मल्होत्रा (अर्जुन कपूर) और तमिल ब्राह्मण अनन्या स्वामीनाथन (आलिया भट्ट) की। आईआईएम में पढ़ाई के दौरान दोनों की दोस्ती होती है और फिर प्यार। दोनों एक-दूसरे से शादी करना चाहते हैं, लेकिन परिवार वाले कल्चर, कलर, बोली-भाषा के बीच अंतर को देखते हुए इसकी इजाजत नहीं देते। फिर दोनों एक-दूसरे के परिवार को मनाने के लिए कैसे और क्या-क्या पापड़ बेलते हैं, यही फिल्म में दिखाया गया है।
सधा निर्देशन
निर्देशक अभिषेक वर्मन अपनी पहली फिल्म में कतई निराश नहीं करते। उनके सामने एक बेहद पॉपुलर नॉवेल को फिल्म की शक्ल में उतारने की चुनौती थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया भी। हालांकि उनकी इस बात के लिए आलोचना हो सकती है कि वह इसमें कुछ नयापन नहीं ला सके। मसलन संवादों और घटनाक्रमों में हेर-फेर करके वह इसे कुछ और चुटीला बना सकते थे। इसके साथ ही फिल्म की लंबाई थोड़ी कम की जा सकती थी। सबसे खास बात यह है कि यह एक प्रेम-कहानी होने के साथ-साथ दो कल्चरों और बाप-बेटे के अंर्तद्वंद की भी कहानी है। निर्देशक ने इसके साथ पूरी तरह न्याय किया है। फिल्म के कुछ दृश्य बेहद इमोशनल हैं और दिल को छू लेते हैं।
आलिया-अर्जुन का मैजिक
इस फिल्म में आलिया और अर्जुन की जोड़ी गजब की लगी है। दोनों के बीच पर्दे पर बढि़या केमेस्ट्री है और यह फिल्म के लिए बोनस का काम करती है। आलिया ने एक बार फिर अपनी शानदार एक्टिंग से चौंकाया है। स्टूडेंट ऑफ द ईयर और हाइवे के बाद उनकी एक और चमकदार परफॉर्मेंस। वहीं अर्जुन ने भी इस बार निराश नहीं किया है। अपने किरदार के विभिन्न रंगों को कायदे से उभरने दिया है। परदे पर अर्जुन की मां बनीं अमृता सिंह ने कमाल का काम किया है, वहीं अर्जुन के पिता के किरदार में रोनित रॉय बहुत इंप्रेस नहीं कर पाते। हां, अनन्या की मां बनीं रेवती ने जरूर प्रभावित किया।
शानदार लोकेशंस
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी बढि़या है और खूबसूरत लोकेशंस दिल को छू लेती हैं। खासतौर पर साउथ के जितने भी दृश्य दिखाए गए हैं, वह बेहद खूबसूरत बन पड़े हैं। फिल्म के गाने माहौल के हिसाब से मुफीद हैं और संगीत भी। डायलॉग्स अधिकांशत: नॉवेल से ही उठाए गए हैं और चुटीले हैं।
फाइनल पंच
युवाओं से फिल्म खूब कनेक्ट करती है और उन्हें पसंद भी आएगी। साथ ही उम्मीद की जानी चाहिए को इस फिल्म के जरिए अर्जुन कपूर को अपनी पहली बड़ी हिट फिल्म मिल सकती है।
आज के दौर में बहुत से लोग होंगे जिन्होंने चेतन भगत का लिखा '2 स्टेट्स' नॉवेल न पढ़ा हो। दिलचस्प ढंग से यही बात फिल्म के पक्ष में भी जाती है और इसके खिलाफ भी। अगर आपने नॉवेल पढ़ा है तो आप इसके किरदारों को परदे पर देखने के लिए रोमांचित हो सकते हैं, लेकिन इस बात का भी डर है कि फिल्म में आपको कोई नयापन न नजर आए और आप इसे एंज्वॉय न कर सकें। बहरहाल, इन सारी बातों के बावजूद २ स्टेट्स एक अच्छी फिल्म है, जो मनोरंजन करती है।
फिल्म की कहानी है पंजाबी कृष मल्होत्रा (अर्जुन कपूर) और तमिल ब्राह्मण अनन्या स्वामीनाथन (आलिया भट्ट) की। आईआईएम में पढ़ाई के दौरान दोनों की दोस्ती होती है और फिर प्यार। दोनों एक-दूसरे से शादी करना चाहते हैं, लेकिन परिवार वाले कल्चर, कलर, बोली-भाषा के बीच अंतर को देखते हुए इसकी इजाजत नहीं देते। फिर दोनों एक-दूसरे के परिवार को मनाने के लिए कैसे और क्या-क्या पापड़ बेलते हैं, यही फिल्म में दिखाया गया है।
सधा निर्देशन
निर्देशक अभिषेक वर्मन अपनी पहली फिल्म में कतई निराश नहीं करते। उनके सामने एक बेहद पॉपुलर नॉवेल को फिल्म की शक्ल में उतारने की चुनौती थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया भी। हालांकि उनकी इस बात के लिए आलोचना हो सकती है कि वह इसमें कुछ नयापन नहीं ला सके। मसलन संवादों और घटनाक्रमों में हेर-फेर करके वह इसे कुछ और चुटीला बना सकते थे। इसके साथ ही फिल्म की लंबाई थोड़ी कम की जा सकती थी। सबसे खास बात यह है कि यह एक प्रेम-कहानी होने के साथ-साथ दो कल्चरों और बाप-बेटे के अंर्तद्वंद की भी कहानी है। निर्देशक ने इसके साथ पूरी तरह न्याय किया है। फिल्म के कुछ दृश्य बेहद इमोशनल हैं और दिल को छू लेते हैं।
आलिया-अर्जुन का मैजिक
इस फिल्म में आलिया और अर्जुन की जोड़ी गजब की लगी है। दोनों के बीच पर्दे पर बढि़या केमेस्ट्री है और यह फिल्म के लिए बोनस का काम करती है। आलिया ने एक बार फिर अपनी शानदार एक्टिंग से चौंकाया है। स्टूडेंट ऑफ द ईयर और हाइवे के बाद उनकी एक और चमकदार परफॉर्मेंस। वहीं अर्जुन ने भी इस बार निराश नहीं किया है। अपने किरदार के विभिन्न रंगों को कायदे से उभरने दिया है। परदे पर अर्जुन की मां बनीं अमृता सिंह ने कमाल का काम किया है, वहीं अर्जुन के पिता के किरदार में रोनित रॉय बहुत इंप्रेस नहीं कर पाते। हां, अनन्या की मां बनीं रेवती ने जरूर प्रभावित किया।
शानदार लोकेशंस
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी बढि़या है और खूबसूरत लोकेशंस दिल को छू लेती हैं। खासतौर पर साउथ के जितने भी दृश्य दिखाए गए हैं, वह बेहद खूबसूरत बन पड़े हैं। फिल्म के गाने माहौल के हिसाब से मुफीद हैं और संगीत भी। डायलॉग्स अधिकांशत: नॉवेल से ही उठाए गए हैं और चुटीले हैं।
फाइनल पंच
युवाओं से फिल्म खूब कनेक्ट करती है और उन्हें पसंद भी आएगी। साथ ही उम्मीद की जानी चाहिए को इस फिल्म के जरिए अर्जुन कपूर को अपनी पहली बड़ी हिट फिल्म मिल सकती है।
लग रहा है फिल्म देखनी पड़ेगी ...
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