3.5 स्टार
शादी का माहौल, पंजाबी गाना, प्यार, इश्क, मोहब्बत और हंसाती-गुदगुदाती कहानी। करण जौहर का पूरा मसाला मौजूद है 'हंसी तो फंसी' में। निखिल (सिद्धार्थ मल्होत्रा) एक मस्तमौला लड़का है। वह आईपीएस अफसर एसबी भारद्वाज (शरत सक्सेना) का बेटा है। एकदिन वह घर में बिना बताए अपने एक दोस्त की शादी में पहुंच जाता है, जहां उसे करिश्मा (अदा शर्मा) से प्यार हो जाता है। यहीं उसकी मुलाकात एक और लड़की से होती है जो अपना घर छोड़कर भाग रही होती है। बहरहाल सात साल के खट्टे-मीठे अफेयर के बाद निखिल और करिश्मा शादी करने का फैसला करते हैं। दोनों का शादी समारोह शुरू होने पर करिश्मा की बहन मीता (परिणीति चोपड़ा) अचानक आती है। यही वो लड़की है जो निखिल से मुंबई में मिली थी। मीता असल में एक साइंटिस्ट है, लेकिन कुछ मानसिक समस्याओं से परेशान है। अब इन तीनों की यह कहानी कैसे आगे बढ़ती है इसके लिए आपको सिनेमाहॉल तक जाना होगा।
हर्षवर्धन कुलकर्णी की कहानी और स्क्रीनप्ले काफी दिलचस्प हैं। फिल्म में शॉकिंग एलीमेंट्स हैं और आप आसानी से कहानी में आने वाले मोड़ का अंदाजा नहीं लगा पाते। फिल्म के पहले हिस्से में कहानी को जमाने की कोशिश की गई है। इंटरवल के बाद जब कहानी आगे बढ़ती है तो दर्शकों का जुड़ाव भी बढऩे लगता है। खासकर मीता के किरदार के गुत्थियां सुलझने के बाद दर्शक उसे पसंद करने लगते हैं।
यह सिद्धार्थ मल्होत्रा की दूसरी फिल्म है और इसमें उनकी मेहनत साफ नजर आती है। स्क्रीन पर वह काफी प्रजेंटेबल लगे हैं। वहीं परिणीति चोपड़ा का काम वाकई तारीफ के काबिल है। उन्होंने मीता के किरदार में अपने अभिनय की नई रेंज सामने रखी है। अदा शर्मा को स्कोप कम मिला है, लेकिन उन्होंने अपनी तरफ से अच्छी कोशिश की है। बाकी किरदारों में शरत सक्सेना और मनोज जोशी का अभिनय अच्छा है।
बतौर निर्देशक पहली फिल्म में विनिल मैथ्यू ने अच्छा काम किया है। एक पेचीदा कहानी को उन्होंने उलझावों से बचाकर रखा। जहां तक संगीत की बात है तो विशाल-शेखर का संगीत अच्छा है, लेकिन न तो नयापन है न ही गानों में दम है।
ओवरऑल देखें तो हंसी तो फंसी एक मनोरंजक फिल्म है। इसे देखते हुए आप कतई बोर नहीं होते। खासकर वन लाइनर डायलॉग्स काफी फनी हैं। सिंगल स्क्रीन की तुलना में मल्टीप्लेक्स के युवा दर्शक इसे पसंद करेंगे।
शादी का माहौल, पंजाबी गाना, प्यार, इश्क, मोहब्बत और हंसाती-गुदगुदाती कहानी। करण जौहर का पूरा मसाला मौजूद है 'हंसी तो फंसी' में। निखिल (सिद्धार्थ मल्होत्रा) एक मस्तमौला लड़का है। वह आईपीएस अफसर एसबी भारद्वाज (शरत सक्सेना) का बेटा है। एकदिन वह घर में बिना बताए अपने एक दोस्त की शादी में पहुंच जाता है, जहां उसे करिश्मा (अदा शर्मा) से प्यार हो जाता है। यहीं उसकी मुलाकात एक और लड़की से होती है जो अपना घर छोड़कर भाग रही होती है। बहरहाल सात साल के खट्टे-मीठे अफेयर के बाद निखिल और करिश्मा शादी करने का फैसला करते हैं। दोनों का शादी समारोह शुरू होने पर करिश्मा की बहन मीता (परिणीति चोपड़ा) अचानक आती है। यही वो लड़की है जो निखिल से मुंबई में मिली थी। मीता असल में एक साइंटिस्ट है, लेकिन कुछ मानसिक समस्याओं से परेशान है। अब इन तीनों की यह कहानी कैसे आगे बढ़ती है इसके लिए आपको सिनेमाहॉल तक जाना होगा।
हर्षवर्धन कुलकर्णी की कहानी और स्क्रीनप्ले काफी दिलचस्प हैं। फिल्म में शॉकिंग एलीमेंट्स हैं और आप आसानी से कहानी में आने वाले मोड़ का अंदाजा नहीं लगा पाते। फिल्म के पहले हिस्से में कहानी को जमाने की कोशिश की गई है। इंटरवल के बाद जब कहानी आगे बढ़ती है तो दर्शकों का जुड़ाव भी बढऩे लगता है। खासकर मीता के किरदार के गुत्थियां सुलझने के बाद दर्शक उसे पसंद करने लगते हैं।
यह सिद्धार्थ मल्होत्रा की दूसरी फिल्म है और इसमें उनकी मेहनत साफ नजर आती है। स्क्रीन पर वह काफी प्रजेंटेबल लगे हैं। वहीं परिणीति चोपड़ा का काम वाकई तारीफ के काबिल है। उन्होंने मीता के किरदार में अपने अभिनय की नई रेंज सामने रखी है। अदा शर्मा को स्कोप कम मिला है, लेकिन उन्होंने अपनी तरफ से अच्छी कोशिश की है। बाकी किरदारों में शरत सक्सेना और मनोज जोशी का अभिनय अच्छा है।
बतौर निर्देशक पहली फिल्म में विनिल मैथ्यू ने अच्छा काम किया है। एक पेचीदा कहानी को उन्होंने उलझावों से बचाकर रखा। जहां तक संगीत की बात है तो विशाल-शेखर का संगीत अच्छा है, लेकिन न तो नयापन है न ही गानों में दम है।
ओवरऑल देखें तो हंसी तो फंसी एक मनोरंजक फिल्म है। इसे देखते हुए आप कतई बोर नहीं होते। खासकर वन लाइनर डायलॉग्स काफी फनी हैं। सिंगल स्क्रीन की तुलना में मल्टीप्लेक्स के युवा दर्शक इसे पसंद करेंगे।
अच्छी चर्चा ... हमें तो अच्छी लगी ये फिल्म ...
ReplyDeleteअच्छी लगी ये फिल्म
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