तीन स्टार
इम्तियाज अली अलग तरह की फिल्में बनाते हैं। दुनिया के बंधे-बंधाए कायदों से बगावत उनकी फिल्मों में साफ झलकती है। ऐसा ही कुछ असर हाइवे फिल्म में भी नजर आता है।
इस फिल्म में वीरा (आलिया भट्ट) की शादी होने वाली है। शादी से से ठीक एक दिन पहले ही महाबीर भाटी (रणदीप हुडा) उसको अगवा कर लेता है।
शुरू में वीरा बहुत डरी सहमी सी रहती है। जैसे ही उसे अहसास होता है कि महाबीर उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा तो वह खुलने लगती है। असल में अमीर मां-बाप के घर रहते हुए वीरा कभी खुद को आजाद नहीं महसूस कर पाती। जबकि अपहरण होने के बावजूद महाबीर के साथ वह एक खुलापन सा पाती है। एक दिन वीरा बचपन का अपना दर्द महाबीर को बताती है और यहीं से दोनों के बीच एक अनजान बॉन्डिंग बन जाती है।
इम्तियाज ने फिल्म को नए ढंग से ट्रीट करने की कोशिश की है। सबसे खास बात है कि इम्तियाज ने अपने अभिनेताओं से अच्छा काम लिया है। महाबीर भाटी के रूप में रणदीप हुडा ने चौंकाने की हद तक बढि़या काम किया है। साहब, बीवी और गैंगस्टर के बाद एक्टिंग के लिहाज से यह उनकी दूसरी यादगार फिल्म है।
वहीं आलिया भट्ट की मासूमियत और चंचलता भी अच्छी लगती हैं। सिर्फ एक फिल्म पुरानी आलिया ने अच्छी वैरिएशन दिखाई है।
हालांकि इम्तियाज की कमियां यह हैं कि वीरा के अपहरण के काफी देर बाद तक वह उसके घरवालों का हाल नहीं दिखाते। साथ ही वीरा और महाबीर का अचानक करीब आना और वीरा अपने घरवालों के खिलाफ एकदम भड़क जाना थोड़ा अजीब लगता है।
फिल्म की गति थोड़ी धीमी है और इस वजह से सीमित दर्शकों को ही पसंद आएगी। इंटरवल से पहले फिल्म ज्यादा मनोरंजक है। दूसरे हॉफ में यह थोड़ी सी गड़बड़ा गई है। वहीं एआर रहमान का संगीत उम्मीदों से कमतर है।
हालांकि ओवरऑल फिल्म को देखें तो यह काफी रोचक अनुभव है। पूरी फिल्म में जबर्दस्त और अनदेखी लोकेशंस हैं। सिनेमैटोग्राफी थोड़ा निराश करती है। अगर इस फिल्म को और बेहतर ढंग से शूट किया गया होता तो यह और लाजवाब होती। इसके बावजूद फिल्म को देखना अलग अनुभव है। खासकर घूमने-फिरने के शौकीनों को पसंद आएगी।
दूसरी खास बात है कि फिल्म में यौन शोषण का पक्ष भी रखा गया है। अपने ही परिवार में एक रिश्तेदार के हाथों में शोषण को सहन करती बच्ची की कोई नहीं सुनता। बाद में बड़ी होकर वह इसके खिलाफ बगावत कर देती है। इस दर्द को आलिया ने पर्दे पर बहुत खूबसूरती से जिया है। वहीं निचले तबके से ताल्लुक रखने वाला महाबीर भाटी भी इसी दर्द से जूझ रहा है।
आलिया भट्ट की मासूमियत, रणदीप हुडा के काम और इम्तियाज अली के नाम पर फिल्म को एक बार देखा जा सकता है।
इम्तियाज अली अलग तरह की फिल्में बनाते हैं। दुनिया के बंधे-बंधाए कायदों से बगावत उनकी फिल्मों में साफ झलकती है। ऐसा ही कुछ असर हाइवे फिल्म में भी नजर आता है।
इस फिल्म में वीरा (आलिया भट्ट) की शादी होने वाली है। शादी से से ठीक एक दिन पहले ही महाबीर भाटी (रणदीप हुडा) उसको अगवा कर लेता है।
शुरू में वीरा बहुत डरी सहमी सी रहती है। जैसे ही उसे अहसास होता है कि महाबीर उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा तो वह खुलने लगती है। असल में अमीर मां-बाप के घर रहते हुए वीरा कभी खुद को आजाद नहीं महसूस कर पाती। जबकि अपहरण होने के बावजूद महाबीर के साथ वह एक खुलापन सा पाती है। एक दिन वीरा बचपन का अपना दर्द महाबीर को बताती है और यहीं से दोनों के बीच एक अनजान बॉन्डिंग बन जाती है।
इम्तियाज ने फिल्म को नए ढंग से ट्रीट करने की कोशिश की है। सबसे खास बात है कि इम्तियाज ने अपने अभिनेताओं से अच्छा काम लिया है। महाबीर भाटी के रूप में रणदीप हुडा ने चौंकाने की हद तक बढि़या काम किया है। साहब, बीवी और गैंगस्टर के बाद एक्टिंग के लिहाज से यह उनकी दूसरी यादगार फिल्म है।
वहीं आलिया भट्ट की मासूमियत और चंचलता भी अच्छी लगती हैं। सिर्फ एक फिल्म पुरानी आलिया ने अच्छी वैरिएशन दिखाई है।
हालांकि इम्तियाज की कमियां यह हैं कि वीरा के अपहरण के काफी देर बाद तक वह उसके घरवालों का हाल नहीं दिखाते। साथ ही वीरा और महाबीर का अचानक करीब आना और वीरा अपने घरवालों के खिलाफ एकदम भड़क जाना थोड़ा अजीब लगता है।
फिल्म की गति थोड़ी धीमी है और इस वजह से सीमित दर्शकों को ही पसंद आएगी। इंटरवल से पहले फिल्म ज्यादा मनोरंजक है। दूसरे हॉफ में यह थोड़ी सी गड़बड़ा गई है। वहीं एआर रहमान का संगीत उम्मीदों से कमतर है।
हालांकि ओवरऑल फिल्म को देखें तो यह काफी रोचक अनुभव है। पूरी फिल्म में जबर्दस्त और अनदेखी लोकेशंस हैं। सिनेमैटोग्राफी थोड़ा निराश करती है। अगर इस फिल्म को और बेहतर ढंग से शूट किया गया होता तो यह और लाजवाब होती। इसके बावजूद फिल्म को देखना अलग अनुभव है। खासकर घूमने-फिरने के शौकीनों को पसंद आएगी।
दूसरी खास बात है कि फिल्म में यौन शोषण का पक्ष भी रखा गया है। अपने ही परिवार में एक रिश्तेदार के हाथों में शोषण को सहन करती बच्ची की कोई नहीं सुनता। बाद में बड़ी होकर वह इसके खिलाफ बगावत कर देती है। इस दर्द को आलिया ने पर्दे पर बहुत खूबसूरती से जिया है। वहीं निचले तबके से ताल्लुक रखने वाला महाबीर भाटी भी इसी दर्द से जूझ रहा है।
आलिया भट्ट की मासूमियत, रणदीप हुडा के काम और इम्तियाज अली के नाम पर फिल्म को एक बार देखा जा सकता है।