दीपक की बातें

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Wednesday, November 25, 2009

वो खौफनाक रात


मुझे आज भी याद है २६/११ की वह रात। हम लोग ऑफिस से काम कर रहे थे। टीवी पर ख़बर आनी शुरू हुई कि मुंबई में भयंकर गोलीबारी हुई है जिसमे कई लोगों के मारे जाने कि भी आशंका जताई जा रही थी। शुरुआत में लगा कि गैगवार का मामला है। लेकिन जैसे जैसे रात गुज़रती गई तस्वीर साफ़ होने लगी। इस तस्वीर में जो चेहरा उभर रहा था वो कितना घिनौना, कितना शर्मनाक था बता नही सकता। रात के करीब एक बजे के बाद जाकर पता चला कि मुंबई पर आतंकवादियों ने हमला किया था। टीवी चैनलों पर ख़बरें देखकर हम कभी झुंझलाते, कभी गुस्साते, लेकिन आख़िरकार हमारे हाथ में था ही क्या? बस दुआ कर सकते थे सो कर रहे थे, जितनी जल्दी हो सके इन मानवता के दुश्मनों का खत्म हो। ताकि जो भी बेकुसूर अन्दर फंसे हैं आज़ाद हो जाए।
खैर, उस बुरे हादसे को अब तो एक साल बीत गए हैं। उम्मीद करता हूँ कि अब ऐसे हादसे दुबारा देखने को नही मिलेंगे। लेकिन कुछ चीजे हैं जो मेरे उम्मीद पर पलीता लगाने पर आमादा नज़र आती है। पिछले कुछ दिनों से लगभग सभी न्यूज़ चैनल्स पर साल भर के बाद के हालत का जायजा लिया जा रहा है। इसमे जो तस्वीर नज़र आती है, वह डराती है पर उससे ज्यादा चौंकाती है। हम अगर अब भी नही जागेंगे नही तो कब। क्या किसी और भी २६/११ का इंतज़ार है क्या।

Wednesday, November 18, 2009

चेहरों के पीछे


कल जेल फ़िल्म देखी । अच्छी फ़िल्म है। मधुर भंडारकर का जो क्लास है उसके साथ उन्होंने न्याय करने की कोशिश की है। यह फ़िल्म मनोरंजन तो करती ही है, साथ ही एक संदेश भी देती है। संदेश उन युवाओं के लिए है जो बड़े शहरों में रहने जाते है। तेजी से भागती दुनिया में किस चेहरे के पीछे क्या है समझ पाना मुश्किल है। जेल फ़िल्म का नायक भी इसे समझ नही पाता । वह अपने दोस्त पर यकीन करता है, लेकिन बदले में उसका दोस्त उसे इस्तेमाल करता है। मुश्किलों और जद्दोजहद से भरी इस दुनिया में इन चेहरों की सचाई पहचानना ही असल चुनौती है।
एक और चेहरे की कहानी सुनिए। एक अमेरिकी नागरिक आकर भारत में रहता है। बार-बार आता है। मशहूर लोगों से दोस्ती करता है। लड़कियों से भी। लेकिन लोग उसके चेहरे के पीछे की हकीकत नही पहचान पाते। एक दिन अचानक पता चलता है कि वह तो आतंकवादी था। सभी भौंचक। बॉलीवुड के कई सितारों से भी उसके ताल्लुकात होने की बात सामने आती है। आश्चर्य होता है कि इतने लोगों की निगाहों से बचकर एक आतंकवादी इतने दिनों तक इस मुल्क में रहा। वाकई अब तो विश्वास ख़त्म होता जा रहा है। कैसे करें दोस्ती। किससे करें दोस्ती।
वैसे एक चेहरा और भी है। दिखने में भलामानुष लगता है, लेकिन यह तो बावला मराठी मानुष है। सही पकड़ा आपने, राज ठाकरे नाम है इनका । इस चेहरे की कहानी भी कम दिलचस्प नही है। लोंगों की भावनाओ को भड़काना, उनके जज्बातों से खेलना इनकी फितरत है। शायद इन्हे पता नही कि इनके चेहरे पर पुता मराठा रंग जब उतरेगा तो जो चेहरा निकल कर सामने आएगा वो एक भारतीय का ही होगा।