मुझे आज भी याद है २६/११ की वह रात। हम लोग ऑफिस से काम कर रहे थे। टीवी पर ख़बर आनी शुरू हुई कि मुंबई में भयंकर गोलीबारी हुई है जिसमे कई लोगों के मारे जाने कि भी आशंका जताई जा रही थी। शुरुआत में लगा कि गैगवार का मामला है। लेकिन जैसे जैसे रात गुज़रती गई तस्वीर साफ़ होने लगी। इस तस्वीर में जो चेहरा उभर रहा था वो कितना घिनौना, कितना शर्मनाक था बता नही सकता। रात के करीब एक बजे के बाद जाकर पता चला कि मुंबई पर आतंकवादियों ने हमला किया था। टीवी चैनलों पर ख़बरें देखकर हम कभी झुंझलाते, कभी गुस्साते, लेकिन आख़िरकार हमारे हाथ में था ही क्या? बस दुआ कर सकते थे सो कर रहे थे, जितनी जल्दी हो सके इन मानवता के दुश्मनों का खत्म हो। ताकि जो भी बेकुसूर अन्दर फंसे हैं आज़ाद हो जाए।
खैर, उस बुरे हादसे को अब तो एक साल बीत गए हैं। उम्मीद करता हूँ कि अब ऐसे हादसे दुबारा देखने को नही मिलेंगे। लेकिन कुछ चीजे हैं जो मेरे उम्मीद पर पलीता लगाने पर आमादा नज़र आती है। पिछले कुछ दिनों से लगभग सभी न्यूज़ चैनल्स पर साल भर के बाद के हालत का जायजा लिया जा रहा है। इसमे जो तस्वीर नज़र आती है, वह डराती है पर उससे ज्यादा चौंकाती है। हम अगर अब भी नही जागेंगे नही तो कब। क्या किसी और भी २६/११ का इंतज़ार है क्या।
खैर, उस बुरे हादसे को अब तो एक साल बीत गए हैं। उम्मीद करता हूँ कि अब ऐसे हादसे दुबारा देखने को नही मिलेंगे। लेकिन कुछ चीजे हैं जो मेरे उम्मीद पर पलीता लगाने पर आमादा नज़र आती है। पिछले कुछ दिनों से लगभग सभी न्यूज़ चैनल्स पर साल भर के बाद के हालत का जायजा लिया जा रहा है। इसमे जो तस्वीर नज़र आती है, वह डराती है पर उससे ज्यादा चौंकाती है। हम अगर अब भी नही जागेंगे नही तो कब। क्या किसी और भी २६/११ का इंतज़ार है क्या।