tag:blogger.com,1999:blog-7186168247047134126.post2423923119713525859..comments2023-11-05T15:19:04.964+05:30Comments on दीपक की बातें: आधी रात, गंगा और गुलाम अलीdeepakkibatenhttp://www.blogger.com/profile/14301325134751200493noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7186168247047134126.post-90059317043816440042011-09-25T12:47:31.068+05:302011-09-25T12:47:31.068+05:30संस्मरण के तार मन से जुड़े प्रतीत हो रहे हैं। मुझे...संस्मरण के तार मन से जुड़े प्रतीत हो रहे हैं। मुझे अच्छा लगा, खासकर भाषा प्रवाह, जिसमें बोली की कोमलता है, साथ ही गंगा की तरह अविरहल बहती हिंदी। ऐसे ही लिखते रहिए, अच्छा लगता है। वैसे ठंडई और बनारस की याद को आपको ताजा करना चाहिए ..कलम से।Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.com