Friday, February 10, 2012
Tuesday, February 7, 2012
इंदौर में एक शाम फ्रेंच फिल्मों के नाम
द लिटिल ड्रैगन
इस फिल्म में ब्रूसली की आत्मा एक गुड्डे में प्रवेश कर जाती है। उसके बाद वह गुड्डा कैसे ऊधम मचाता है और दुनिया में अपनी पहचान बनाना चाहता है। 9 मिनट की यह फिल्म बेहद शानदार थी।
वॉकिंग
यह कहानी है एक गुजरे जमाने की अभिनेत्री मियो-मियो की। मियो-मियो अब असल जिंदगी में नानी बनने वाली है। अपने होने वाले नाती को लेकर वह बेहद असहज है और हर वक्त उसी के बारे में सोचा करती है। अपनों को लेकर हम कितना पजेसिव हो जाते हैं यह इस फिल्म में बखूबी दिखाया गया है।
मैडागास्कर- ए जर्नी डायरी
यह एक एनीमेटेड फिल्म है। यूरोपीय सैलानी मैडागास्कर की रोचक यात्रा के जरिए फिल्म में एक खास सभ्यता के बारे में बताया गया है। मुझे बहुत ज्यादा पसंद नहीं आई तो बहुत ज्यादा डिटेल भी याद नहीं।
इन ऑवर ब्लड
बमुश्किल दस मिनट की यह फिल्म को अगर इस शाम की सबसे शानदार फिल्म कहूं तो गलत नहीं होगा। एक 17 साल का लड़का अपने पिता के जुल्मो-सितम का शिकार है। लड़का थोड़ा गैर-जिम्मेदार है और उसका बाप रास्ते पर लाने के लिए जब तब उसे पीटता रहता है। इस बीच वह खुद बाप बनने वाला है। हालांकि उसका ध्यान अपनी पत्नी और होने वाले बच्चे पर कम और वीडियो गेम और म्यूजिक में ज्यादा रहता है। इस बीच उसकी पत्नी अपनी मां के पास चली जाती है। इधर घर पर अपने पिता की मारपीट को देखकर उसका दिल बदलता है और वह अपनी पत्नी के पास ज्यादा है। वहां पर वह अपने बच्चे को गोद में लेने तक को उसे डर लगता है। अपने पिता से अलग वह अपने बेटे को बहुत प्यार करता है और इस प्यार का नतीजा है कि उसे छूने से भी डरता है कि कहीं बच्चे को नुकसान ना हो जाए।
डिक्स बिफ
मार्क नाम का शख्स अजीब फोबिया से पीडि़त है। उसे हमेशा टाइल्स पर चलने की फोबिया है। उसे लगता है कि अगर वह खास ढंग से गिनकर टाइल्स पर कदम नहीं रखेगा तो वह भी टाइल्स की तरह बिखर जाएगा। काउंसलर उसका डर दूर करने में कामयाब होता है।
इन फिल्मों की संगत में शाम अच्छी गुजरी। मौका मिले तो आप भी देखिएगा।
Sunday, February 5, 2012
युवराज की तारीफ की, अब दुआ कीजिए
प्रिय युवराज,
तुम्हारी बीमारी का हाल सुनने के बाद तबीयत किस कदर भारी हो गई है, यह हम ही जानते हैं। पता चला है कि तुम अभी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाए हो। तुम बिल्कुल चिंता मत करो। तुम बहुत जल्द स्वस्थ हो जाओगे। तुम्हारी बीमारी की खबर सुनकर हम सभी बहुत चिंतित हैं। मालूम होता है कि जिस बीमारी को तुम मामूली बता रहे थे, वह उतनी मामूली है नहीं। अगर यह मामूली होती तो भला कीमोथैरेपी क्यों की जाती। बहरहाल, तुम हमें कुछ नहीं बताना चाहते तो कोई बात नहीं।
जब विश्वकप में फतह के बाद तुम आंसुओं में सराबोर थे, तब हमारी आंखों के कोरे भी गीले थे। हां, तब हमें अंदाजा नहीं था कि हम सभी को यह खुशी देने के लिए तुमने कितना दर्द सहा है। अंदाजा होता भी तो कैसे? तुमने कभी हमें बताया ही नहीं। अभी तुम्हारे पिताजी भी बीमारी को गुप्त रखने की गुहार लगा रहे हैं। हो सकता है कि तुम इस बीमारी के बारे में बताकर हम सभी को चिंतित नहीं करना चाहते। मगर याद रहे युवराज, तुम सिर्फ योगराज सिंह के बेटे नहीं हो। तुम हिंदुस्तान के बेटे हो और हमारी दुआएं हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगी।
हमें आज भी अच्छी तरह याद है। तुम्हारा वह पहला मैच। किस तरह तुमने कंगारुओं के छक्के छुड़ाए थे। मैदान में जब तुमने गुलाटियां लगानी शुरू कीं तो हमें अंदाजा हो गया था कि भारत के पास भी एक शानदार फील्डर आ गया है जो गिरने से घबराता नहीं। लॉडर्स के मैदान पर जब तुमने कैफ के साथ मिलकर अंग्रेजों का मानमर्दन किया था तो हमारा सीना गर्व से फूल गया था। टी-20 वर्ल्ड कप में स्टुअर्ट ब्रॉड की गेंद पर लगाए तुम्हारे वह छह छक्के भला क्या भूले हैं हम। और कितने मैच गिनाऊं? जाने कितने मौकों पर तुमने हमें फख्र करने का मौका दिया है।
विश्वकप में तुम जब टीम में शामिल हुए तो आलोचनाओं से घिरे हुए थे। मगर तुमने किसी की परवाह नहीं कि और अपने शानदार प्रदर्शन से खुद को साबित कर दिया। विश्वकप के बाद एक बार फिर जब तुम्हारा प्रदर्शन खराब हुआ तो हमने तुम्हें जाने क्या-क्या कहा। मगर अब उन बातों का सख्त अफसोस है। जिस दिन पहली बार तुम्हारी बीमारी के बारे में सुना बहुत सदमा लगा था। मगर फिर जब तुमने दिलासा दी कि नहीं चिंता की कोई बात नहीं, तो तसल्ली हो गई थी।
अब फिर से तुम्हारी बीमारी की खबर सुनकर हम परेशान हैं। मगर हमें भरोसा है कि जिस तरह तमाम कठिन हालातों मे तुमने मैच का रुख मोड़ दिया। जिस तरह तुमने तमाम हारी हुई बाजियां जीत लीं, उसी तरह तुम बिना विचलित हुए जिंदगी के इस दौर से भी जीत जाओगे। अभी तुम्हें कई मंजिलें फतह करनी हैं, भारत को कई मैचों में सिरमौर बनाना है। कई रिकॉर्ड अपने नाम करने हैं। हमारी दुआ है युवराज तुम जल्द ठीक हो जाओगे।
-भारतीय क्रिकेट प्रशंसक
(न्यूज़ टुडे में प्रकाशित)